Sunday, October 10, 2021

What Is Ramsar Sites In Hindi ? / रामसर स्थल क्या है ?

What Is Ramsar Sites In Hindi ? / रामसर स्थल क्या है ? -:
रामसर समझौता ( Ramsar Convention ) वेटलैंड्स के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि है। ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी 1971 को इस अंतर्राष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए। इसलिए इसे रामसर अभिसमय / रामसर समझौता के नाम से जाना जाता है। यह समझौता 21 दिसंबर 1975 से प्रभाव में आया। प्रत्येक वर्ष 2 फरवरी को विश्व आर्द्रभूमि दिवस ( World Wetlands Day ) मनाया जाता है। विश्व आर्द्रभूमि दिवस पहली बार 1997 में मनाया गया था।

रामसर स्थलों की सूची का उद्देश्य आर्द्र भूमि के एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को विकसित करना है। जो वैश्विक जैव विविधता के संरक्षण और उनके पारिस्थितिक तंत्र घटकों व प्रक्रियाओं के रखरखाव एवं लाभों के माध्यम से मानव जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

आर्द्रभूमि क्षेत्र पृथ्वी पर सबसे उत्पादक पारिस्थितिक तंत्रों में से एक है। यह मानव समाज के लिए कई महत्वपूर्ण सेवाएं प्रदान करता है जैसे सिंचाई के लिए पानी, मत्स्य पालन, गैर-इमारती लकड़ी के उत्पाद, पानी की आपूर्ति और जैव विविधता रखरखाव आदि। आर्द्रभूमि क्षेत्र पानी को अवशोषित करके बाढ़ के प्रभाव को भी कम करता है। यह पानी के प्रवाह की गति को कम करता है।

आर्द्र भूमि क्षेत्र (Wetland) एक ऐसा क्षेत्र होता है जहां जमीन पानी से ढकी होती है। तालाब, झील, नदी का डेल्टा, दलदली भूमि और समुद्र का किनारा आदि जगहों को आर्द्र भूमि क्षेत्र कहते है।


 
रामसर सम्मेलन के अनुसार आर्द्र भूमि क्षेत्र / वेटलैंड्स हैं –: “दलदल,पंकभूमि, पीट भूमि या पानी के क्षेत्र, चाहे प्राकृतिक या कृत्रिम, स्थायी या अस्थायी, पानी के साथ चाहे स्थैतिक हो या बहता हो, ताजा, खारा या नमकीन हो, इसमें समुद्री पानी के क्षेत्र भी शामिल हैं, जिसमें कम ज्वार पर गहराई 6 मीटर से अधिक नहीं हो।”

भारत में वेटलैंड्स को स्थलाकृतिक भिन्नता के आधार पर निम्नलिखित 4 वर्गों में वर्गीकृत किया गया है।

हिमालयी आर्द्रभूमि
गंगा के मैदान में आर्द्रभूमि
रेगिस्तान में आर्द्रभूमि
तटीय आर्द्रभूमि
भारत में आर्द्रभूमि के संरक्षण और प्रबंधन के लिए वर्ष 2012-13 में राष्ट्रीय आर्द्रभूमि संरक्षण कार्यक्रम लागू किया गया था।

List of 46 Ramsar Sites in India in Hindi 2021, भारत में रामसर स्थल की सूची 2021 -:
क्र. भारत में रामसर स्थल की सूची राज्य/केंद्रशासित प्रदेश वर्ष
1. चिल्का झील ओडिशा 1981
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान 1981
3. लोकटक झील मणिपुर 1990
4. वुलर झील जम्मू-कश्मीर 1990
5. हरिके झील पंजाब 1990
6. सांभर झील राजस्थान 1990
7. कंजली झील पंजाब 2002
8. रोपड़ वेटलैंड पंजाब 2002
9. कोलेरु झील आंध्र प्रदेश 2002
10. दीपोर बील असम 2002
11. पोंग बांध झील हिमाचल प्रदेश 2002
12. त्सो मोरीरी झील लद्दाख 2002
13. अष्टमुडी झील केरल 2002
14. सस्थमकोट्टा झील केरल 2002
15. वेम्बनाड-कोल आर्द्रभूमि केरल 2002
16. भोज वेटलैंड मध्य प्रदेश 2002
17. भितरकनिका मैंग्रोव ओडिशा 2002
18. प्वाइंट कैलिमेरे वन्यजीव और पक्षी अभयारण्य तमिलनाडु 2002
19. पूर्व कोलकाता आर्द्रभूमि पश्चिम बंगाल 2002
20. चंदेरटल वेटलैंड हिमाचल प्रदेश 2005
21. रेणुका वेटलैंड हिमाचल प्रदेश 2005
22. होकेरा वेटलैंड / होकेर्सर वेटलैंड जम्मू और कश्मीर 2005
23. सुरिंसर और मानसर झील जम्मू और कश्मीर 2005
24. रुद्रसागर झील त्रिपुरा 2005
25. ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा खिंचाव) उत्तर प्रदेश 2005
26. नालसरोवर पक्षी अभयारण्य गुजरात 2012
27. सुंदरवन डेल्टा क्षेत्र पश्चिम बंगाल 2019
28. नंदुर मध्यमेश्वर महाराष्ट्र 2019
29. नवाबगंज पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
30. केशोपुर मिआनी कम्युनिटी रिजर्व पंजाब 2019
31. व्यास संरक्षण रिजर्व पंजाब 2019
32. नांगल वन्यजीव अभयारण्य पंजाब 2019
33. साण्डी पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
34. समसपुर पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
35. समन पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
36. पार्वती अरगा पक्षी अभयारण्य उत्तर प्रदेश 2019
37. सरसई नावर झील उत्तर प्रदेश 2019
38. आसन कंजर्वेशन रिजर्व उत्तराखंड 2020
39. काबर ताल बिहार 2020
40. लोनार झील महाराष्ट्र 2020
41. सुर सरोवर झील / कीथम झील उत्तर प्रदेश 2020
42. त्सो कर आर्द्रभूमि क्षेत्र लद्दाख 2020
43. सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान हरियाणा 2021
44. भिड़ावास वन्यजीव अभ्यारण्य हरियाणा 2021
45. थोल झील वन्यजीव अभ्यारण्य गुजरात 2021
46. वाधवाना आर्द्रभूमि क्षेत्र गुजरात 2021
Question Answer related with Ramsar Sites In India List In Hindi -:
प्रश्न : वर्तमान में भारत में रामसर साइट कितनी है ?

उत्तर : वर्तमान में भारत में 46 रामसर साइट्स हैं।

प्रश्न : रामसर सम्मेलन कब हुआ था ?

उत्तर : रामसर सम्मेलन ईरान के शहर रामसर में 2 फरवरी 1971 को आयोजित किया गया था।

प्रश्न : विश्व आर्द्रभूमि दिवस कब मनाया जाता है ?

उत्तर : 2 फरवरी

प्रश्न : भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल कौन सा है ?

उत्तर : पश्चिम बंगाल में स्थित सुंदरबन वेटलैंड भारत का सबसे बड़ा रामसर स्थल है। यह लगभग 4230 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

प्रश्न : भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल कौन सा है ?

उत्तर : हिमाचल प्रदेश में स्थित रेणुका वेटलैंड क्षेत्र भारत का सबसे छोटा रामसर स्थल है। यह लगभग 0.2 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है।

प्रश्न : भारत में सबसे ज्यादा रामसर स्थल किस राज्य में स्थित हैं ?


 
उत्तर : भारत में सबसे ज्यादा 8 रामसर स्थल उत्तर प्रदेश राज्य में है।

प्रश्न : विश्व में कुल कितने रामसर स्थल हैं ?

उत्तर : विश्व में लगभग 2400 रामसर स्थल घोषित किए जा चुके हैं।

प्रश्न : भारत की पहली रामसर साइट कौन सी है ?

उत्तर : अक्टूबर 1981 में भारत के दो स्थलों को सबसे पहले रामसर स्थल घोषित किया गया था। – ओड़िशा में स्थित चिलिका झील और राजस्थान में स्थित केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान।

प्रश्न : विश्व का पहला रामसर स्थल किसे घोषित किया गया था ?

उत्तर : विश्व का पहला रामसर स्थल 1974 में ऑस्ट्रेलिया में स्थित कोबोर प्रायद्वीप को घोषित किया गया था।

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Sunday, September 5, 2021

अष्टावक्र

 अष्टावक्र का अर्थ है, आठ जगहों से मुड़ा हुआ। अष्ठावक्र नाम का एक ऋषि थे, जिनका शरीर आठ जगहों से मुड़ा हुआ था। वे अष्ठावक्र गीता के लिए जाने जाते है। इनके शरीर के इस अवस्था के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है।

उद्दालक नाम का एक ऋषि था और उसका एक प्रिय शिष्य था कहोद । उद्दालक ने अपने अपने प्रिय शिष्य कहोद की शादी अपनी बेटी सुजाता के साथ कर दिया। कुछ महीनों बाद सुजाता गर्भवती हो गई। एक दिन ऋषि कहोद शास्त्र का पठन कर रहे थे और उनसे पठन में गलती हो गई। तो गर्भ से उनके बेटे ने उन्हें टोक दिया कि वे शास्त्र का गलत पाठ कर रहे है। इस बात से गुस्सा होकर ऋषि कहोद ने अपने ही बेटे को इस अपमान के लिए श्राप दे दिया कि वो विकंलाग के रुप में जन्म लेगा और वो आठ जगहों से उसका शरीर टेड़ा होगा।

कुछ दिनों बाद ऋषि कहोद शास्त्र के लिए राजा जनक के दरबार में गए, जहां उन्हें ऋषि बंदी को शास्त्रार्थ में हराना था। जो व्यक्ति ऋषि बंदी से हार जाता था,उन्हें दंड स्वरूप पानी में डुबा दिया जाता था। यहीं हाल ऋषि कहोद का हुआ। वे हार गए और पानी में डुबो दिए गए।

इधर कहोद का बेटा , सुजाता के गर्भ से जन्म लिया। चुंकि श्राप के कारण उसका शरीर आठ जगहों से टेड़ा पैदा हुआ तो उन्हें अष्टावक्र का नाम मिला। बारह साल तक अष्टावक्र ने अपने नाना उद्दालक से शिक्षा ली। तब उन्हें अपने पिता और ऋषि बंदी के बारे में पता चला। उन्होंने इसका बदला लेने के लिए ऋषि बंदी से शास्त्रार्थ करने का निश्चय किया,और वे राजा जनक के दरबार में चले गए।

अष्टावक्र का कुरूप स्वरूप देखकर महल के सैनिक उस पर हंसने लगे। इस पर अष्टावक्र ने जवाब दिया कि इंसान की पहचान उसकी उम्र या रूप से नहीं बल्कि उसकी बुद्धि से होती है। बहुत कम ही समय में अष्टावक्र ने ऋषि बंदी को शास्त्रार्थ में हरा दिया। अब शर्त के अनुसार ऋषि बंदी को पानी में डुबाया जाना था। इस पर ऋषि बंधी अपने असली स्वरूप में आए और कहा कि ‘मैं वरुण देव का पुत्र हूं। मुझे मेरे पिता ने धरती पर मौजूद उच्च संतों को भेजने के लिए कहा था ताकि वह एक यज्ञ पूरा कर पाएं। अब जब मेरे पिता का यज्ञ संपन्न हो चुका है तब जितने भी ऋषियों को उन्होंने पानी में डुबोया था वे नदी के बांध से वापस आ जाएंगे’।

ऋषि कहोद वापस आए और उन्होंने अपने बेटे अष्टावक्र को श्राप से मुक्त किया। अष्टावक्र को विकंलागता से मुक्ति मिल गई।

अष्टावक्र गीता में अष्टावक्र और राजा जनक के बीच का संवाद है, जो हमें जीने की कला सिखाती है। इस किताब को रामकृष्ण परमहंस ने विवेकानंद को पढ़ने को दिया था।

Sunday, August 22, 2021

इस कंडोंम का नाम डिपर रखने के पीछे एक मनोरंजन कहानी

टाटा भारत में ट्रकों का सबसे बड़ा निर्माता है।


भारत के सबसे बड़े ट्रक निर्माता टाटा मोटर्स ने डिपर नाम का एक कंडोम बनाया। इसका मकसद ट्रक ड्राइवरों में सुरक्षित सेक्स को बढ़ावा देना था। ट्रक ड्राइवरों को एचआईवी-एड्स होने की आशंका ज्यादा होती है। टाटा ने ये कंडोम टीसीआई फाउंडेशन के संग मिलकर बनाया है। इस कंडोम को कितनी सफलता मिलेगी ये वक्त बताएगा लेकिन इस कंडोंम का नाम डिपर रखने के पीछे एक मनोरंजन कहानी है।


ट्रक ड्राइवरों के लिए डिपर नाम का कंडोम बनाने का ख्याल सबसे पहले भारत सरकार के नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) को आया था। नाको यौनकर्मियों के लिए भी “वो” नाम से कंडोम बनाना चाहता था। लेकिन वो अपनी योजना में सफल नहीं हो सका।

साल 2005 में जब एचआईवी मरीजों की संख्या काफी बढ़ने लगी तो नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (नाको) ने दो समूहों को महसूस हुआ कि जिन दो समूहों को एड्स होने की सर्वाधिक आंशका होती है उन्हें असुरक्षित सेक्स और कंडोम के इस्तेमाल के बारे में जागरूक बनाए बिना इससे पीड़ितों की संख्या में कमी लाना संभव नहीं है। ये समूह हैं- ट्रक ड्राइवर और पेशेवर यौनकर्मी।


भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी उस समय नाको के प्रमुख थे। कुरैशी याद करते हैं, “ये तय किया गया कि इन दोनों समूहों को कंडोम के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाए। नाको पहले ही जनता को मुफ्त में कंडोम बांटता रहा है। आपको निरोध की याद होगी? लेकिन हमें लगा कि इन दोनों समूहों को लिए हमें एक नया ब्रांड लेकर आएं। एक बैठक में संभावित नामों पर चर्चा के दौरान सुझाव आया कि ट्रक ड्राइवरों के लिए डिपर नाम सही रहेगा। आपने देखा होगा कि आपने सभी व्यावसायिक वाहनों पर “यूज डिपर एट नाइट” लिखा देखा होगा। जो मूलतः मद्धिम लाइट के लिए लिखा रहता है।”


कुरैशी ने बताया, “हमें लगा कि इस नाम के साथ हमें चालीस लाख ट्रकों के माध्यम से इसका मुफ्त में विज्ञापन हो जाएगा। हमारा मकसद ड्राइवरों को शिक्षित करना था….कि जिस तरह रात में सुरक्षित गाड़ी चलाने के लिए डिपर का प्रयोग किया जाता है, उसी तरह डिपर कंडोम के प्रयोग से वो खुद को और अपनी बीवियों को इस घातक बीमारी से सुरक्षित रख सकते हैं।”


इस नए कंडोम के प्रचार के लिए जुमला गढ़ा गया, “दिन हो या रात, डिपर रहे साथ।” डिपर के अलावा संस्था ने “हार्न प्लीज” और “ओके टाटा” नामों पर भी विचार किया था। इन नामों के पीछे भी वही वजह थी, इनका लगभग हर ट्रक के पीछे लिखा होना।


यौनकर्मियों के लिए बनाए गए विशेष कंडोम का नाम “वो” रखा गया। ये नाम चर्चित हिंदी फिल्म, “पति, पत्नी और वो” से लिया गया है। लेकिन ये “वो” फिल्म की तरह खलनायक नहीं बल्कि दोस्त है, जो पति-पत्नी को एड्स से बचाता है।


कुरैशी बताते हैं, “ये नाम रखने के पीछे एक वजह ये भी थी कि लोगों को कंडोम मांगने में झिझक होती है, इसलि इसे “वो’ नाम दिया गया।” नाको ने जीवन बीमा निगम और नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया से इस कैंपेन के लिए समझौता किया है।


सरकार के हिंदुस्तान लैटेक्स लिमिटेड (एचएलएल) इसका उत्पादन भी शुरू कर दिया। लेकिन मामला शुरू होते ही खटाई में पड़ गया। एक निजी निर्माता को इन दोनों नामों की भनक लग गई। उसने पहले ही दोनों नामों को पंजीकृत करा लिया और उनका पेटेंट ले लिया। कुरैशी बताते हैं, “वो कंपनी दोनों ब्रांड नामों के बदले हमसे पैसा लेना चाहती थी। हम पैसा नहीं दे सकते थे इसलिए हमने वो योजना रद्द कर दी।”


टाटा द्वारा “डिपर” को लॉन्च करने पर कुरैशी कहते हैं, “मैं बहुत खुश हूं कि टाटा मोटर्स ने कंडोम का नाम डिपर रखकर एक स्मार्ट काम किया है। जिस काम में हम एक धूर्त कंपनी द्वारा पैदा किए गए कानूनी पचड़ों की वजह से विफल रहे वो सफल हो गए।”

इसलिए जब भी आप रास्ते में चलते ट्रक को देखें जिसके पीछे लिखा हो use dipper at night तो जरूर टाटा समूह और सरकार की इस अनोखी और बेहतरीन पहल को याद कीजिएगा।।

Monday, July 26, 2021

दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?

 दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
हम हैं मुश्ताक़ और वो बेज़ार
या इलाही ये माजरा क्या है?
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
मैं भी मुँह में ज़ुबान रखता हूँ
काश पूछो कि मुद्दा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
जान तुम पर निसार करता हूँ
जान तुम पर निसार करता हूँ
मैं नहीं जानता दुआ क्या है
दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है?
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?

Dil-e-nadan Tujhe Hua Kya

यह न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल ए यार होता, अगर और जीते रहते यही इंतज़ार होता. - मिर्ज़ा ग़ालिब

  ग़ज़ल

     यह न थी हमारी क़िस्मत
कि विसाल ए यार होता,
     अगर और जीते रहते
यही इंतज़ार होता.

     तेरे वादे पर जिए हम
तो यह जान झूठ जाना,
     कि ख़ुशी से मर न जाते
अगर ऐतबार होता.

     कोई मेरे दिल से पूछे
तेरे तीर ए नीम कश को,
     ये ख़लिश कहां से होती
जो जिगर के पार होता.

     तेरी नाज़ुकी से जाना कि
बंधा था अहद ए बोदा,
     कभी तू ना तोड़ सकता
अगर उस्तवार होता.

     यह कहां की दोस्ती है
कि बने है दोस्त नास़ेह़,
     कोई चारासाज़ होता
कोई ग़म गुसार होता.

     रग ए संग से टपकता वह लहू
कि फिर न थमता,
     जिसे ग़म समझ रहे हो
यह अगर शरार होता.

     हुए मर के जो रुसवा
हुए क्यूं न ग़र्क़ ए दरिया,
     न कभी जनाज़ा उठता
न कहीं मज़ार होता.

     उसे कौन देख सकता कि
यगाना है वह यकता,
     जो दुई की बू भी होती
तो कहीं दो चार होता.

     ग़म अगरचे जां गुसिल है
पे कहां बचें कि दिल है,
     ग़म ए इश्क़ गर ना होता
ग़म ए रोज़गार होता.

     कहूं किस से मैं कि क्या है
शब ए ग़म बुरी बला है,
     मुझे क्या बुरा था मरना
अगर एक बार होता.

     यह मसाइल ए तस़उफ़
यह तेरा बयान ग़ालिब,
     तुझे हम वली समझते
जो न बादा ख़्वार होता.

       —मिर्ज़ा ग़ालिब
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मुश्किल अल्फ़ाज़:
     ☆ विसाल --- मिलन.

     ☆ ऐतबार --- भरोसा.
     ☆ नीम --- आधा, अधूरा.
     ☆ कश --- खींचा, खिंचा हुआ.
     ☆ नीमकश --- आधा खिंचा हुआ.
     ☆ ख़लिश --- चुभन, जलन.
     ☆ नाज़ुकी --- कमज़ोरी, कोमलता.
     ☆ अहद --- क़सम, वादा, प्रतिज्ञा.
     ☆ बोदा --- खोखला.
     ☆ उस्तवार --- पक्का, मज़बूत.
     ☆ नास़ेह़ --- नसीहत/ज्ञान देने वाला.
     ☆ चारासाज़ --- ह़कीम, राह दिखाने वाला.
     ☆ ग़म गुसार --- हमदर्द.
     ☆ रगे संग --- पत्थर की नस, पत्थर पर बारीक निशान.
     ☆ शरार --- चिंगारी, अंगारा.
     ☆ ग़र्क़ --- डूबना.
     ☆ यगाना --- अकेला, एक.
     ☆ यकता --- बेमिसाल.
     ☆ दुई --- दो, जोड़ा.
     ☆ दो चार --- आमना सामना.
     ☆ जां गुसिल --- जान लेवा.
     ☆ शब --- रात.
     ☆ मसाइल --- मसला, मामला, समस्या.
     ☆ तसउफ़ --- अध्यात्म, रूहानी.
     ☆ बयान --- तक़रीर, व्याख्या.
     ☆ वली --- विद्वान, पीर.
     ☆ बादा ख़्वार --- शराब ख़ोर.

कोई उम्मीद बर नहीं आती ! कोई सूरत नज़र नहीं आती !! -मिर्ज़ा ग़ालिब

 कोई उम्मीद बर नहीं आती !
कोई सूरत नज़र नहीं आती !!

मौत का एक दिन मुअय्यन है !
नींद क्यों रात भर नहीं आती !!

आगे आती थी हाल-ए-दिल पर हसी !
अब किसी बात पर नहीं आती !!

जानता हूँ सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद !
पर तबियत इधर नहीं आती !!

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूँ !
वरना क्या बात कर नहीं आती ?

क्यों न चीखू कि याद करते है !
मेरी आवाज़ गर नहीं आती !!

दाग़-ए-दिल गर नज़र नहीं आता !
बू भी ऐ चारागर नहीं आती !!

हम वहा है जहाँ से हमको भी !
कुछ हमारी खबर नहीं आती !!

मरते है आरजू में मरने की !
मौत आती है पर नहीं आती !!

काबा किस मुँह से जाओगे ग़ालिब !
शर्म तुमको मगर नहीं आती ! - मिर्ज़ा ग़ालिब

मायने
मुअय्यन = नियत, सवाब-ए-ताअत-ओ-ज़ोहद = संयम तथा उपासना, चारागर = चिकित्सक

Sunday, March 14, 2021

काग दही पर जान गँवायो

जो हमारे दिमाग में चल रहा होता है,जैसी अच्छी बुरी भावना उस वस्तु या व्यक्ति विशेष के प्रति रखते हैं,उसी दृष्टि से हम आस पास का आकलन करते हैं और अपनी बात को सबके सामने रखते हैं।

जो जैसा देखना चाहता है,पूर्वाग्रहों से ग्रस्त होकर देखता है।निम्नलिखित कहानी से स्पष्ट हो जाएगाः

एक बार एक कवि हलवाई की दुकान पहुंचे,जलेबी और दही ली और वहीं खाने बैठ गये। इतने में एक कौआ कहीं से आया और दही की परात में चोंच मारकर उड़ चला। हलवाई को बड़ा गुस्सा आया उसने पत्थर उठाया और कौए को दे मारा। कौए की किस्मत ख़राब,पत्थर सीधे उसे लगा और वो मर गया।

- ये घटना देख कवि हृदय जगा।वो जलेबी खाने के बाद पानी पीने पहुंचे तो उन्होने एक कोयले के टुकड़े से वहां एक पंक्ति लिख दी।

"काग दही पर जान गँवायो"

दही में चोंच मारने के कारण कौए को अपनी जान गंवानी पड़ी।

- तभी वहां एक लेखपाल महोदय जो कागजों में हेराफेरी की वजह से निलम्बित हो गये थे,पानी पीने आए। कवि की लिखी पंक्तियों पर जब उनकी नजर पड़ी तो अनायास ही उनके मुंह से निकल पड़ा,कितनी सही बात लिखी है! क्योंकि उन्होने उसे कुछ इस तरह पढ़ा-

"कागद ही पर जान गंवायो"

लेखपाल महोदय के दिमाग में उनके कागज चल रहे थे,अतः उन्हें काग दही कागद ही पढ़ने में आए।

- तभी एक मजनू टाइप लड़का पिटा-पिटाया सा वहां पानी पीने आया। उसे भी लगा कितनी सच्ची बात लिखी है काश उसे ये पहले पता होती, क्योंकि उसने उसे कुछ यूं पढ़ा था-

"का गदही पर जान गंवायो"

उस मजनूँ ने लड़की के कारण मार खाई।कष्ट होने पर लड़के को लड़की गदही जैसी लगने लगी।उसने दुखी होकर इस पंक्ति को वैसे पढ़ा।
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शायद इसीलिए तुलसीदास जी ने बहुत पहले ही लिख दिया था,
"जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी"।

हम वह नहीं देखते,जो सच में होता है।हम वह देखते हैं,जो हम देखना चाहते हैं।

ठीक इसी प्रकार ईश्वर की मूर्ति भी हमारे भावों का दर्पण होती है।सबको अपना अपना इष्ट भी वैसा ही नजर आता है,जैसे जैसे हमारे भाव और विचार उसके प्रति होते हैं।

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प्रेरणादायक अनमोल वचन

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